Wednesday, September 23, 2015

सफल जीवन क्या होता है


एक बेटे ने पिता से पूछा – पापा ये ‘सफल जीवन’ क्या होता है ?

पिता, बेटे को पतंग उड़ाने ले गए।
 
बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था…

थोड़ी देर बाद बेटा बोला, पापा.. ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें !! ये और ऊपर चली जाएगी…

पिता ने धागा तोड़ दिया ..

पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आइ और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई…
 
तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समझाया .,,,,
बेटा..
‘जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं..
हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं
जैसे :घर, परिवार, अनुशासन, माता-पिता आदि और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं… वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं.. इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो बिन धागे की पतंग का हुआ…’
“अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना..”
” धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही ‘सफल जीवन’ कहते हैं

Sunday, September 13, 2015

बड़ा ही महत्व है


ससुराल में साली का
बाग़ में माली का
होंठो में लाली का
पुलिस में गाली का
मकान में नाली का...
कान में बाली का
पूजा में थाली का
खुशी में ताली का
बड़ा ही महत्व है..........१

फलों में आम का
भगवान में राम का
मयखाने में जाम का
फैक्ट्री में काम का
सुर्ख़ियों में नाम का
बाज़ार में दाम का
मोहब्ब्त में शाम का
बड़ा ही महत्व है.........२

व्यापार में घाटा का
लड़ाई में चांटा का
रईसों में टाटा का
जूतों में बाटा का
रसोई में आटा का
बड़ा ही महत्व है.........३

फ़िल्म में गाने का
झगड़े में थाने का
प्यार में पाने का
अंधों में काने का
परिंदों में दाने का
बड़ा ही महत्व है..........४

ज़िंदगी में मोहब्ब्त का
परिवार में इज़्ज़त का
तरक्की में किस्मत का
दीवानो में हसरत का
बड़ा ही महत्व है.........५

पंछियों में बसेरे का
दुनिया में सवेरे का
डगर में उजेरे का
शादी में फेरे का
बड़ा ही महत्व है.........६

खेलों में क्रिकेट का
विमानों में जेट का
शरीर में पेट का
दूरसंचार में नेट का
बड़ा ही महत्व है.........७

मौजों में किनारों का
गुर्वतों में सहारों का
दुनिया में नज़ारों का
प्यार में इशारों का
बड़ा ही महत्व है...........८

खेत में फसल का
तालाब में कमल का
उधार में असल का
परीक्षा में नकल का
बड़ा ही महत्व है........९

ससुराल में जमाई का
परदेश में कमाई का
जाड़े में रज़ाई का
दूध में मलाई का
बड़ा ही महत्व है.........१०

बंदूक में गोली का
पूजा में रोली का
समाज में बोली का
त्योहारों में होली का
श्रृंगार में चोली का
बड़ा ही महत्व है........११

बरात में दूल्हे का
हड्डियों में कूल्हे का
रसोई में चूल्हे का
बड़ा ही महत्व है..........१२

सब्जियों में आलू का
बिहार में लालू का
मशाले में बालू का
जंगल में भालू का
बोलने में तालू का
बड़ा ही महत्व है........१३

मौसम में सावन का
घर में आँगन का
दुआ में दामन का
लंका में रावन का
बड़ा ही महत्व है..........१४

चमन में बहार का
डोली में कहार का
खाने में अचार का
मकान में दीवार का
बड़ा ही महत्व है.........१५

सलाद में मूली का
फूलों में जूली का
सज़ा में सूली का
स्टेशन में कूली का
बड़ा ही महत्व है...........१६

पकवानों में पूरी का
रिश्तों में दूरी का
आँखों में भूरी का
रसोई में छूरी का
बड़ा ही महत्व है...........१७

नल मेँ पाइप का
बेल्ट के टाइट का
वाहन मेँ बाइक काऔर आप के एक लाइक का
बड़ा ही महत्व है.

Monday, May 11, 2015

शुगर का इलाज


  • लहसुन छिला हुआ - 25 gms
  • अदरक सब्ज़ (ताज़ा) - 50 gms
  • पुदीना सब्ज़ (हरा) - 50 gms
  • अनारदाना खट्टा - 50 gms
इन चारों चीज़ों को पीस कर चटनी बना लें। और सुबह, दोपहर और शाम को एक-एक चम्मच खा लें। पुरानी से पुरानी शुगर, यहाँ तक कि शुगर की वजह से जिस मरीज़ के जिस्म के किसी हिस्से को काटने की सलाह भी दी गयी हो तब भी ये चटनी बहुत फायदेमंद इलाज है।

Sunday, May 3, 2015

चार बातें हमेशा याद रखो


पहली बात

हर इंसान इतना बुरा नही होता जितना वो पेन कार्ड और आधार कार्ड मैं दीखता है।
और इतना अच्छा भी नही होता जितना वो फेसबुक और वाटस एप पर दिखता है।

दूसरी बात

हर आदमी इतना बुरा नही होता जितना उसकी बीबी उसको समझती है 
और इतना अच्छा भी नहीं होता जितना उसकी माँ उसको समझती है।

तीसरी बात
हर आदमी अपनी लाइफ पार्टनर के बारे मैं सोचता है कि वो मिस यूनिवर्स दिखे 
और घर में काम शांता बाई की तरह करे।

चौथी बात

हर औरत अपने लाइफ पार्टनर के बारे मै सोचती है की वो अम्बानी तरह कमाए 
और व्यहवहार मनमोहन सिंह की तरह करे।

मंगल कामनाओ सहित समर्पित परन्तु कृपया मुस्कुरायें या हंसे नहीं।

किस्मत हो तो मोदी जी जैसी हो।
सवाल पूछने के लिए विपक्ष में
नेता नहीं और घर पर बीबी नहीं।

Friday, April 17, 2015

कुण्डलिनी क्या है ?

 

कुण्डलिनी क्या है? इसकी शक्ति क्या है, इसकी साधना, इसका उद्देश्य क्या है,

कुण्डलिनी-जागरण कैसे होते है और मनुष्य पर इस जागरण का क्या प्रभाव पड़ता है?
ऐसे अनेक प्रश्न हैं जिनके उत्तर वांछित है।

कुण्डलिनी साधना मनुष्य के आतंरिक रूपांतरण और जागरण की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है।

कुण्डलिनी जागरण का एक मात्र उद्देश्य है कि मनुष्य अपने आपको पहचाने, अपने जीवन को गहराई से समझे।

यह एक आध्यात्मिक यात्रा है जो मनुष्य को स्वयं अपने ही अस्तित्व के साथ करनी पड़ती है।

प्रत्येक मनुष्य के जानेंद्रिय के नीचे जहाँ से रीढ़ की हड्डी शुरू होती है, वहां एक चने के बराबर गड्ढा है जिसे कुण्ड कहते हैं। वही कुण्ड ऊर्जा का केंद्र है। इस कुण्ड का आकार त्रिकोण की तरह है । यहीं पर नाड़ियों का गुच्छा है जिसे योग में कंद कहते हैं।

इसी पर कुण्डलिनी सर्पिणी की तरह 3.5 चक्र की कुंडली मार कर , नीचे के ओर मुख करके, युगों-युगों से
बेखबर होकर गहरी नींद में सो रही है। जबतक यह सोई हुई है अज्ञान का मूल बनी हुई है।

कुण्ड में स्थित होने या कुण्डली के रूप के कारण ही इसे कुण्डलिनी पुकारा जाता है।  सर्प के रूप के कारण सर्पिणी या चिति भी कहते हैं।

मनुष्य की रीढ़ की हड्डी भीतर से पोली है।उसके भीतर एक नाड़ी है जिसे योग में सुषुम्ना नाड़ी कहा जाता है। इसी के भीतर दो और नाड़ियाँ हैं--इड़ा और पिंगला, उसी प्रकार से जैसे बिजली के किसी मोटे तार के भीतर दो अलग अलग पतले तार होते हैं- जिनमें positive और negative विद्युत धाराएं प्रवाहित होती हैं।

सुषुम्ना नाड़ी बिलकुल खाली नहीं है , वहां शून्य है, इसीलिए उसे शून्य नाड़ी भी कहते है।  शून्य अपने भीतर बहुत कुछ समेटे हुए होता है। इड़ा और पिंगला नाड़ियों में क्रमशः मन और प्राण का प्रवाह है। इसलिये इड़ा को मनोवहा और पिंगला को प्राणवहा नाड़ी कहते हैं।

कुण्ड के एक कोने पर इड़ा,  एक पर पिंगला और  एक पर सुषुम्ना की ग्रन्थियाँ हैं। हमारे शरीर का यह एक
महत्वपूर्ण स्थान है। जीवनी शक्ति का फैलाव सम्पूर्ण शरीर में इसी केंद्र से होता है। इसे मूलाधार चक्र कहते हैं। त्रिकोण योनि का प्रतीक है, इसलिए तांत्रिक इसे योनि चक्र भी कहते हैं।

यहीं से तीनो नाड़ियाँ एक साथ मिलकर मेरुदंड में से होकर ऊपर की ओर चली गई हैं।
ऊपर जा कर तीनों अलग अलग हो गई हैं।

इड़ा बाई कनपटी और पिंगला दाई कनपटी से होकर आज्ञा चक्र में मिल कर और तीनों प्रकार के मस्तिष्कों को पार कर ब्रह्म रंध्र से मिल गई है। इसी प्रकार सुषुम्ना नाड़ी भी खोपड़ी के पीछे से होकर ब्रह्म रंध्र से मिल गई है। विचार की तरंगें इसी ब्रह्म रंध्र के मार्ग से सुषुम्ना में प्रवेश कर तीसरे मस्तिष्क मेंदूला ablongata में पहुंचती हैं।

हमारे शरीर में ज्ञान तंतुओं के दो भाग हैं। पहला भाग मस्तिष्क और मेरुदंड के भीतर है और दूसरा भाग छाती,पेट और पेड़ू के भीतर है।

पहले भाग को सेरिबो स्पाइनल सिस्टम कहते हैं और दूसरे भाग को सिम्पैथेटिक सिस्टम कहते हैं। मनुष्य के भीतर इच्छाओं,भावनाओं का जन्म और व्यापार पहले भाग में और उसी प्रकार बुद्धि,पोषण,पाचन व्यापार दूसरे भाग में चलता रहता है।

शब्द,रस,रूप,गंध और स्पर्श की क्रिया व्यापार मस्तिष्क और मेरुदंड के ज्ञान तंतु करते हैं।विचार भी यहीं पैदा होते हैं।

मस्तिष्क के तीन भाग हैं--मुख्य मस्तिष्क, गौण
मस्तिष्क और अधो स्थित मस्तिष्क। मुख्य मस्तिष्क को सेरिब्रम ,गौण मस्तिष्क को सेरिबेलम कहते हैं और अधो स्थित मस्तिष्क को मेडुला ablongata कहते हैं। यह मेरुदंड के ऊपरी सिरे पर स्थित है। इसका आकर मुर्गी के अंडे के बराबर होता है। उसमें एक ऐसा द्रव भरा होता है जो अज्ञात है।

Medical Science

अभीतक इस द्रव का पता नहीं लगा पाई है।  योगी इसे सहस्त्रार कहते हैं। इसके ज्ञान तंतुओं का एक सिरा सुषुम्ना नाडी के मुख से मिला है और दूसरा ब्रह्म रंध्र में निकल रहता है जहाँ पर चोटी रखने की प्रथा है।
उस स्थान पर सुई के नोक के बराबर एक छिद्र है जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। ब्रह्म रंध्र के माध्यम से ब्रह्माण्ड के बिखरे अबक विचारों को व्यक्ति ग्रहण करता रहता है।

समर्थ सिद्धगुरु के अनुग्रह से सिद्धयोग ध्यान की क्रियात्मक प्रक्रिया के माध्यम से सबसे पहले कुंडलिनी का जागरण होता है, फिर उसका उत्थान होता है।

इसके बाद क्रम से चक्रों का भेदन होता हैं और अंत में आज्ञा चक्र में अपने सद्गुरु के चिन्मय स्वरुप का दर्शन
होता है। अंत में सहस्त्रार स्थित शिव से शक्ति का सामरस्य महा मिलन होता है।

Monday, March 9, 2015

बहाने नहीं सफलता के रास्ते खोजिए



1. मुझे उचित शिक्षा लेने का अवसर नही मिला।
उचित शिक्षा का अवसर फोर्ड मोटर्स के मालिक हेनरी फोर्ड को भी नही मिला।

2. अत्यंत गरीब घर से हूँ।
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी गरीब घर से थे।

3. बचपन मे ही मेरे पिता का देहाँत हो गया था।
प्रख्यात संगीतकार ए.आर.रहमान के पिता का भी देहांत बचपन मे हो गया था।

4. मै बचपन से ही अस्वस्थ था।
आँस्कर विजेता अभिनेत्री मरली मेटलिन भी बचपन से बहरी व अस्वस्थ थी।

5. मैने साइकिल पर घूमकर आधी ज़िंदगी गुजारी है।
निरमा के करसन भाई पटेल ने भी साइकिल पर निरमा बेचकर आधी ज़िंदगी गुजारी।

6. एक दुर्घटना मे अपाहिज होने के बाद मेरी हिम्मत चली गयी।
प्रख्यात नृत्यांगना सुधा चन्द्रन के पैर नकली है।

7. मुझे बचपन से मंद बुद्धि कहा जाता है।
थामस अल्वा एडीसन को भी बचपन से मंदबुद्धि कहा जाता था।

8. मै इतनी बार हार चूका, अब हिम्मत नही।
अब्राहम लिंकन 15 बार चुनाव हारने के बाद राष्ट्रपति बने थे।

9. मुझे बचपन से परिवार की जिम्मेदारी उठानी पङी।
लता मंगेशकर को भी बचपन से परिवार की जिम्मेदारी उठानी पङी थी।

10. मेरी लंबाई बहुत कम है।
सचिन तेंदुलकर की भी लंबाई कम है।

11. मै एक छोटी सी नौकरी करता हूँ, इससे क्या होगा।
धीरु भाई अंबानी भी छोटी नौकरी करते थे।

12. मेरी कम्पनी एक बार दिवालिया हो चुकी है, अब मुझ पर कौन भरोसा करेगा।
दुनिया की सबसे बङी शीतल पेय निर्माता कम्पनी भी दो बार दिवालिया हो चुकी है।

13. मेरा दो बार नर्वस ब्रेकडाउन हो चुका है, अब क्या कर पाउँगा?
डिज्नीलैंड बनाने के पहले वाल्ट डिज्नी का तीन बार नर्वस ब्रेकडाउन हुआ था।

14. मेरी उम्र बहुत ज्यादा है।
विश्व प्रसिद्ध केंटुकी फ्राइड चिकेन के मालिक ने 60 साल की उम्र मे पहला रेस्तरा खोला था।

15. मेरे पास बहुमूल्य आइडिया है पर लोग अस्वीकार कर देते है।
जेराँक्स फोटो कापी मशीन के आईडिया को भी ढेरो कंपनियो ने अस्वीकार किया था पर आज परिणाम सामने है।

16. मेरे पास धन नही है।
इन्फोसिस के पूर्व चेयरमैन नारायणमूर्ति के पास भी धन नही था, उन्हे अपनी पत्नी के गहने बेचने पड़े थे।

आप कहेगे कि यह जरुरी नही कि जो प्रतिभा इन महानायको मे थी, वह मुझ में भी हो। मै इस बात से सहमत हूँ।

लेकिन, यह भी जरुरी नही कि जो प्रतिभा आपके अंदर है वह इन महानायको में भी हो! कोशिश तो कीजिये हो सकता है की आप उनसे भी आगे निकल जाये।

मतलब यह है कि…..

यदि आप आगे बढ़ना चाहते है तो आपको दो में एक को चुनना होगा । बहाना या सफलता का रास्ता!

आप साहसी है, अपनी मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी के दम पर अपनी किस्मत को बदलने का प्रयास कीजिये।
सफलता का रास्ता खोजना पड़ता है वह अपने आप नहीं मिल जाता है। उसे खोजिए और उस पर चलना शुरू कर दीजिये। एक न एक दिन मंजिल जरूर मिलेगी।

भारत में खनिज


1. भारत में खनिजों के सर्वेक्षण एवं विकास की जिम्मेदारी किस संस्था के पास है ?
►जीओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और भारतीय खान ब्यूरो

2. जीओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का मुख्यालय कहां है ?
►कोलकाता

3. भारतीय खान ब्यूरो का मुख्यालय कहां है ?
►नागपुर

4. देश का 75 प्रतिशत लोहा किन राज्यों से प्राप्त किया जाता है ?
►झारखंड और उड़ीसा

5. भारत में सर्वाधिक लौह अयस्क का उत्पादन कहां होता है ?
►उड़ीसा

6. मैगनीज उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
►तीसरा

7. देश में सबसे ज्यादा मैंगनीज उत्पादन करने वाला राज्य कौन है ?
►उड़ीसा

8. कोयले के उत्पादन में भारत का स्थान विश्व में कौन-सा है ?
►तीसरा

9. सबसे उत्तम किस्म के कोयला का क्या नाम है ?
►एंथ्रेसाइट

10. भारत में कोयले के उत्पादन में प्रथम तीन राज्य क्रमश: कौन हैं ?
►झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा ।

11. भारत में तांबा के उत्पादन में प्रथम तीन राज्य क्रमश: कौन हैं ?
►मध्यप्रदेश, राजस्थान और झारखंड ।

12. भारत में बॉक्साइट का सबसे अधिक उत्पादन किस राज्य में होता है ?
►उड़ीसा (कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत)

13. अभ्रक के उत्पादन में विश्व में पहला स्थान किस देश का है ?
►भारत

14. देश में कुल सोने के उत्पादन का 98 प्रतिशत भाग कहां से प्राप्त होता है ?
►कर्नाटक

15. जस्ता के लिए कौन-सा खान प्रसिद्ध है ?
►जवार खान (राजस्थान)

16. भारत में यूरेनियम कहां पाया जाता है ?
►झारखंड (रांची, हजारीबाग, सिंहभूम)

17. यूरेनियम के उत्पादन में देश का पहला राज्य कौन है ?
►झारखंड

18. मैग्नेजाइट का सबसे अधिक भंडार किस राज्य में है ?
►उत्तराखंड (68 प्रतिशत भंडार)

19. विश्व का सबसे बड़ा थोरियम निर्माता देश कौन-सा है ?
►भारत {राजस्थान के पाली, भीलवाड़ा में प्रचूर मात्रा में थोरियम पाया जाता है}

20. क्रोमाइट के उत्पादन में पहला स्थान किस राज्य का है ?
►उड़ीसा (क्रोमाइट का उत्पादन झारखंड में भी होता है)

21. टंगस्टन का भंडार कहां ज्यादा है ?
►देगाना (राजस्थान)

22. हीरे की खान देश में कहां है ?
►पन्ना (मध्यप्रदेश)

23. लिग्नाइट का सबसे अधिक भंडार किस राज्य में है ?
> तमिलनाडु

Tuesday, February 24, 2015

विश्व कप में क्रिस गेल के रिकॉर्ड


क्रिस गेल ने जिंबॉब्वे के खिलाफ विश्व कप 2015 के ग्रुप मैच में 215 (147 गेंदें) रनों की धुआंधार पारी के दम पर न सिर्फ अपनी टीम का विजयी सिलसिला बरकरार रखने में मदद की बल्कि कई बड़े रिकॉर्ड भी दर्ज किए। आइए एक नजर डालते हैं कि आज उनकी इस स्वर्णिम पारी ने कैसे बनाए तमाम रिकॉर्डः

क्रिस गेल की 215 रनों की ये पारी विश्व कप इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी साबित हुई। इससे पहले ये रिकॉर्ड दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन के नाम था जिन्होंने यूएई के खिलाफ 1996 विश्व कप में 188 रनों की पारी खेलकर रिकॉर्ड बनाया था।

गेल का ये दोहरा शतक वनडे क्रिकेट का पांचवां दोहरा शतक तो साबित हुआ ही, साथ ही वो ऐसा करने वाले पहले गैर भारतीय खिलाड़ी भी बन गए हैं। गौरतलब है कि इससे पहले भारत के रोहित शर्मा (2 दोहरे शतक), सचिन तेंदुलकर (1) और वीरेंद्र सहवाग (1) के नाम पर ही ये सफलता दर्ज थी।

इससे पहले वनडे क्रिकेट में बने चारों दोहरे शतक भारतीय जमीन पर ही बने थे। गेल पहले ऐसे खिलाड़ी बने जिन्होंने भारत से बाहर इस सफलता को अंजाम दिया है। सचिन, सहवाग और रोहित शर्मा ने ये कामयाबी भारतीय पिच पर ही हासिल की थी।

गेल का दोहरा शतक वनडे क्रिकेट का सबसे तेज दोहरा शतक भी साबित हुआ। उन्होंने 138 गेंदों पर डबल धमाल मचाकर ये रिकॉर्ड अपने नाम किया। इससे पहले ये रिकॉर्ड वीरेंद्र सहवाग के नाम था जिन्होंने अपनी 219 रनों की पारी के दौरान 140 गेंदों में 200 का आंकड़ा छुआ था।

एक वनडे पारी में सबसे ज्यादा छक्के लगाने के रिकॉर्ड में भी अब क्रिस गेल संयुक्त रूप से शीर्ष स्थान पर आ गए हैं। गेल ने अपनी 215 रनों की पारी में 16 छक्के जड़े। अब वो इस मामले में संयुक्त तौर पर दक्षिण अफ्रीका के एबी डिविलियर्स और भारत के रोहित शर्मा के साथ शीर्ष पर मौजूद हैं।

गेल ने आज के मैच में अपनी 215 रनों की शानदार पारी के बाद वनडे क्रिकेट में अपने रनों के आंकड़े को 9136 तक पहुंचा दिया, जिसके साथ ही वो वेस्टइंडीज वनडे इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज बन गए हैं। उनके अलावा सिर्फ पूर्व महान कैरेबियाई बल्लेबाज ब्रायन लारा ही 9000 का आंकड़ा पार सके हैं। विश्व क्रिकेट में ऐसा करने वाले गेल 16वें बल्लेबाज बन गए हैं।

क्रिस गेल ने अपना 22 वनडे शतक जड़ा जो कि वेस्टइंडीज क्रिकेट में किसी भी खिलाड़ी द्वारा बनाए गए सबसे ज्यादा वनडे शतक हैं। विश्व क्रिकेट में अब सबसे ज्यादा शतक बनाने वालों की सूची में संयुक्त तौर पर दूसरे स्थान पर कब्जा जमा लिया है। उनके साथ विराट कोहली और सौरव गांगुली भी 22-22 शतक जड़कर दूसरे नंबर पर मौजूद हैं। सबसे ज्यादा शतक लगाने का रिकॉर्ड अब भी सचिन तेंदुलकर (49 शतक) के ही नाम है।

जिंबॉब्वे के खिलाफ इस मैच में गेल और मार्लन सैमुअल्स के बीच दूसरे विकेट के लिए हुई 372 रनों की साझेदारी वनडे क्रिकेट इतिहास में किसी भी विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी भी साबित हुई। इससे पहले ये रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के नाम था जिन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 1999 में 331 रनों की साझेदारी को अंजाम दिया था। गेल-सैमुअल्स की ये साझेदारी लिस्ट-ए क्रिकेट को मिलाकर भी अब तक सबसे बड़ी साझेदारी है (किसी भी विकेट के लिए)।

लहसुन के बड़े फायदे



लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है

  • 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।
  • लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।
  • लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।
  • खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।
  • लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।
  • लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।
  • लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।
  • लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।
  • नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।
  • लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
  • यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है।
  • जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है।
  • लहसुन गठिया और अन्य जोड़ों के रोग में भी लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है।

लहसुन की बदबू

अगर आपको लहसुन की गंध पसंद नहीं है कारण मुंह से बदबू आती है। रोजमर्रा के लिये आप लहसुन को छीलकर या पीसकर दही में मिलाकर खाये तो आपके मुंह से बदबू नहीं आयेगी। लहसुन खाने के बाद इसकी बदबू से बचना है तो जरा सा गुड़ और सूखा धनिया मिलाकर मुंह में डालकर चूसें कुछ देर तक, बदबू बिल्कुल निकल जायेगी।

Sunday, February 15, 2015

भारत में उघोगों की स्थापना


1. भारत में पहली कोयले की खान - रानीगंज (1820)
2. भारत की पहली ट्रेन - मुम्बई से ठाणे (1853)
3. भारत का पहला राकेट - रोहणी (1967)
4. भारत का पहला उपग्रह - आर्यभट् (1975)
5. भारत की पहली इस्पात फैक्टी - टाडा जमशेदपुर (1907)
6. भारत का पहला कृषि विश्व विद्यालय - पंतनगर विश्व विद्यालय (1960)
7. भारत का पहला नेशनल पार्क - जिम कार्बेट (1935)
8. भारत की पहली हवाई उड़ान - इलाहाबाद से नैनी (1911)
9. भारत का पहला जूट कारखाना - रिसरा (कलकत्ता में 1855)
10. भारत की पहली सीमेण्ट फैक्ट्री - चेन्नई (1904)
11. भारत की पहली रबड़ की फैक्टी - बरेंली (1955)

"माँ"



माँ- दुःख में सुख का एहसास है,
माँ - हरपल मेरे आस पास है ।
माँ- घर की आत्मा है,
माँ- साक्षात् परमात्मा है ।
माँ- आरती, अज़ान है,
माँ- गीता और कुरआन है ।
माँ- ठण्ड में गुनगुनी धूप है,
माँ- उस रब का ही एक रूप है
माँ- तपती धूप में साया है,
माँ- आदि शक्ति महामाया है ।
माँ- जीवन में प्रकाश है,
माँ- निराशा में आस है ।
माँ- महीनों में सावन है,
माँ- गंगा सी पावन है ।
माँ- वृक्षों में पीपल है,
माँ- फलों में श्रीफल है ।
माँ- देवियों में गायत्री है,
माँ- मनुज देह में सावित्री है ।
माँ- ईश् वंदना का गायन है,
माँ- चलती फिरती रामायन है ।
माँ- रत्नों की माला है,
माँ- अँधेरे में उजाला है,
माँ- बंदन और रोली है,
माँ- रक्षासूत्र की मौली है ।
माँ- ममता का प्याला है,
माँ- शीत में दुशाला है ।
माँ- गुड सी मीठी बोली है,
माँ- ईद, दिवाली, होली है ।
माँ- इस जहाँ में हमें लाई है,
माँ- की याद हमें अति की आई है ।
माँ- मैरी, फातिमा और दुर्गा माई है,
माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।
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