Tuesday, February 24, 2015

विश्व कप में क्रिस गेल के रिकॉर्ड


क्रिस गेल ने जिंबॉब्वे के खिलाफ विश्व कप 2015 के ग्रुप मैच में 215 (147 गेंदें) रनों की धुआंधार पारी के दम पर न सिर्फ अपनी टीम का विजयी सिलसिला बरकरार रखने में मदद की बल्कि कई बड़े रिकॉर्ड भी दर्ज किए। आइए एक नजर डालते हैं कि आज उनकी इस स्वर्णिम पारी ने कैसे बनाए तमाम रिकॉर्डः

क्रिस गेल की 215 रनों की ये पारी विश्व कप इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी साबित हुई। इससे पहले ये रिकॉर्ड दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन के नाम था जिन्होंने यूएई के खिलाफ 1996 विश्व कप में 188 रनों की पारी खेलकर रिकॉर्ड बनाया था।

गेल का ये दोहरा शतक वनडे क्रिकेट का पांचवां दोहरा शतक तो साबित हुआ ही, साथ ही वो ऐसा करने वाले पहले गैर भारतीय खिलाड़ी भी बन गए हैं। गौरतलब है कि इससे पहले भारत के रोहित शर्मा (2 दोहरे शतक), सचिन तेंदुलकर (1) और वीरेंद्र सहवाग (1) के नाम पर ही ये सफलता दर्ज थी।

इससे पहले वनडे क्रिकेट में बने चारों दोहरे शतक भारतीय जमीन पर ही बने थे। गेल पहले ऐसे खिलाड़ी बने जिन्होंने भारत से बाहर इस सफलता को अंजाम दिया है। सचिन, सहवाग और रोहित शर्मा ने ये कामयाबी भारतीय पिच पर ही हासिल की थी।

गेल का दोहरा शतक वनडे क्रिकेट का सबसे तेज दोहरा शतक भी साबित हुआ। उन्होंने 138 गेंदों पर डबल धमाल मचाकर ये रिकॉर्ड अपने नाम किया। इससे पहले ये रिकॉर्ड वीरेंद्र सहवाग के नाम था जिन्होंने अपनी 219 रनों की पारी के दौरान 140 गेंदों में 200 का आंकड़ा छुआ था।

एक वनडे पारी में सबसे ज्यादा छक्के लगाने के रिकॉर्ड में भी अब क्रिस गेल संयुक्त रूप से शीर्ष स्थान पर आ गए हैं। गेल ने अपनी 215 रनों की पारी में 16 छक्के जड़े। अब वो इस मामले में संयुक्त तौर पर दक्षिण अफ्रीका के एबी डिविलियर्स और भारत के रोहित शर्मा के साथ शीर्ष पर मौजूद हैं।

गेल ने आज के मैच में अपनी 215 रनों की शानदार पारी के बाद वनडे क्रिकेट में अपने रनों के आंकड़े को 9136 तक पहुंचा दिया, जिसके साथ ही वो वेस्टइंडीज वनडे इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज बन गए हैं। उनके अलावा सिर्फ पूर्व महान कैरेबियाई बल्लेबाज ब्रायन लारा ही 9000 का आंकड़ा पार सके हैं। विश्व क्रिकेट में ऐसा करने वाले गेल 16वें बल्लेबाज बन गए हैं।

क्रिस गेल ने अपना 22 वनडे शतक जड़ा जो कि वेस्टइंडीज क्रिकेट में किसी भी खिलाड़ी द्वारा बनाए गए सबसे ज्यादा वनडे शतक हैं। विश्व क्रिकेट में अब सबसे ज्यादा शतक बनाने वालों की सूची में संयुक्त तौर पर दूसरे स्थान पर कब्जा जमा लिया है। उनके साथ विराट कोहली और सौरव गांगुली भी 22-22 शतक जड़कर दूसरे नंबर पर मौजूद हैं। सबसे ज्यादा शतक लगाने का रिकॉर्ड अब भी सचिन तेंदुलकर (49 शतक) के ही नाम है।

जिंबॉब्वे के खिलाफ इस मैच में गेल और मार्लन सैमुअल्स के बीच दूसरे विकेट के लिए हुई 372 रनों की साझेदारी वनडे क्रिकेट इतिहास में किसी भी विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी भी साबित हुई। इससे पहले ये रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के नाम था जिन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 1999 में 331 रनों की साझेदारी को अंजाम दिया था। गेल-सैमुअल्स की ये साझेदारी लिस्ट-ए क्रिकेट को मिलाकर भी अब तक सबसे बड़ी साझेदारी है (किसी भी विकेट के लिए)।

लहसुन के बड़े फायदे



लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है

  • 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।
  • लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।
  • लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।
  • खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।
  • लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।
  • लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।
  • लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।
  • लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।
  • नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।
  • लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
  • यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है।
  • जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है।
  • लहसुन गठिया और अन्य जोड़ों के रोग में भी लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है।

लहसुन की बदबू

अगर आपको लहसुन की गंध पसंद नहीं है कारण मुंह से बदबू आती है। रोजमर्रा के लिये आप लहसुन को छीलकर या पीसकर दही में मिलाकर खाये तो आपके मुंह से बदबू नहीं आयेगी। लहसुन खाने के बाद इसकी बदबू से बचना है तो जरा सा गुड़ और सूखा धनिया मिलाकर मुंह में डालकर चूसें कुछ देर तक, बदबू बिल्कुल निकल जायेगी।

Sunday, February 15, 2015

भारत में उघोगों की स्थापना


1. भारत में पहली कोयले की खान - रानीगंज (1820)
2. भारत की पहली ट्रेन - मुम्बई से ठाणे (1853)
3. भारत का पहला राकेट - रोहणी (1967)
4. भारत का पहला उपग्रह - आर्यभट् (1975)
5. भारत की पहली इस्पात फैक्टी - टाडा जमशेदपुर (1907)
6. भारत का पहला कृषि विश्व विद्यालय - पंतनगर विश्व विद्यालय (1960)
7. भारत का पहला नेशनल पार्क - जिम कार्बेट (1935)
8. भारत की पहली हवाई उड़ान - इलाहाबाद से नैनी (1911)
9. भारत का पहला जूट कारखाना - रिसरा (कलकत्ता में 1855)
10. भारत की पहली सीमेण्ट फैक्ट्री - चेन्नई (1904)
11. भारत की पहली रबड़ की फैक्टी - बरेंली (1955)

"माँ"



माँ- दुःख में सुख का एहसास है,
माँ - हरपल मेरे आस पास है ।
माँ- घर की आत्मा है,
माँ- साक्षात् परमात्मा है ।
माँ- आरती, अज़ान है,
माँ- गीता और कुरआन है ।
माँ- ठण्ड में गुनगुनी धूप है,
माँ- उस रब का ही एक रूप है
माँ- तपती धूप में साया है,
माँ- आदि शक्ति महामाया है ।
माँ- जीवन में प्रकाश है,
माँ- निराशा में आस है ।
माँ- महीनों में सावन है,
माँ- गंगा सी पावन है ।
माँ- वृक्षों में पीपल है,
माँ- फलों में श्रीफल है ।
माँ- देवियों में गायत्री है,
माँ- मनुज देह में सावित्री है ।
माँ- ईश् वंदना का गायन है,
माँ- चलती फिरती रामायन है ।
माँ- रत्नों की माला है,
माँ- अँधेरे में उजाला है,
माँ- बंदन और रोली है,
माँ- रक्षासूत्र की मौली है ।
माँ- ममता का प्याला है,
माँ- शीत में दुशाला है ।
माँ- गुड सी मीठी बोली है,
माँ- ईद, दिवाली, होली है ।
माँ- इस जहाँ में हमें लाई है,
माँ- की याद हमें अति की आई है ।
माँ- मैरी, फातिमा और दुर्गा माई है,
माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।
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