Thursday, September 25, 2014

तेजाब के हमले में घायल एक लड़की के दिल से निकलीं


चलो, फेंक दिया
सो फेंक दिया....
अब कसूर भी बता दो मेरा

तुम्हारा इजहार था
मेरा इन्कार था
बस इतनी सी बात पर
फूंक दिया तुमने
चेहरा मेरा....

गलती शायद मेरी थी
प्यार तुम्हारा देख न सकी
इतना पाक प्यार था
कि उसको मैं समझ ना सकी....

अब अपनी गलती मानती हूँ
क्या अब तुम ... अपनाओगे मुझको?
क्या अब अपना ... बनाओगे मुझको?

क्या अब ... सहलाओगे मेरे चहरे को?
जिन पर अब फफोले हैं
मेरी आंखों में आंखें डालकर देखोगे?
जो अब अन्दर धस चुकी हैं
जिनकी पलकें सारी जल चुकी हैं
चलाओगे अपनी उंगलियाँ मेरे गालों पर?
जिन पर पड़े छालों से अब पानी निकलता है

हाँ, शायद तुम कर लोगे....
तुम्हारा प्यार तो सच्चा है ना?

अच्छा! एक बात तो बताओ
ये ख्याल 'तेजाब' का कहाँ से आया?
क्या किसी ने तुम्हें बताया?
या जेहन में तुम्हारे खुद ही आया?
अब कैसा महसूस करते हो तुम मुझे जलाकर?
गौरान्वित..???
या पहले से ज्यादा
और भी मर्दाना...???

तुम्हें पता है
सिर्फ मेरा चेहरा जला है
जिस्म अभी पूरा बाकी है

एक सलाह दूँ!
एक तेजाब का तालाब बनवाओ
फिर इसमें मुझसे छलाँग लगवाओ
जब पूरी जल जाऊँगी मैं
फिर शायद तुम्हारा प्यार मुझमें
और गहरा और सच्चा होगा....

एक दुआ है....
अगले जन्म में
मैं तुम्हारी बेटी बनूँ
और मुझे तुम जैसा
आशिक फिर मिले
शायद तुम फिर समझ पाओगे
तुम्हारी इस हरकत से
मुझे और मेरे परिवार को
कितना दर्द सहना पड़ा है।
तुमने मेरा पूरा जीवन
बर्बाद कर दिया है।

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