नवरात्रे के नौ दिन शक्ति पूजा के इसी रहष्य को समझने एवं आत्मसातकरने के दिन है ! इन नौ दिनों में हमें अपनी संचित शक्ति से माँ भगवती की उपासना - अभ्यर्थना करनी चाहिए ! इन नौ दिनों में अनगिनत रहष्य समाये है परन्तु प्रधानतया ये गायत्री के महामंत्र में समाहित है! गायत्री मंत्र के आगे पीछे ॐ लगा कर जप करने से स्थूल, सूक्षम, एवं कारण इन तीनो शरीरो की शक्तियों का जागरण होता है और इसी के फल सवरूप ओंकार के परम पद की प्राप्ति होती है पर ऐसा उन्ही के जीवन में होता है जो अपने जीवन के क्षंण क्षंण में , शक्ति के कण कण का संचय करते है और साथ में सतकर्मो के रूप में इसका सद्व्य करके विश्वव्यापनी माँ जगदम्बा की अर्चना आराधना करते है
शक्ति पूजा के इछुक साधको को एक चीज का ध्यान रखना चाहिए, वह है.....'' शक्ति संचय,'' संचय के बिना शक्ति बिखर जाती है और अभीष्ट पूर्ण नहीं हो पाता शक्ति साधको को नवरात्र के इसी क्षंण माँ महाशक्ति की पूजा के लिए विशेष ध्यान देने योग्य बाते !!!! पंचोपंचार की तैयारी करनी होगी !! इन पंचोपचारो के क्रम में आते है
1 शारीरिक शक्ति 2 मानसिक शक्ति 3 भावनात्मक शक्ति 4 आर्थिक शक्ति ५ व् आधात्मिक शक्ति इन पांचो शक्तियों का संचय आवश्यक है!! इन पांच शक्तियों का आभाव ही मनुष्य को पीड़ा की प्रताड़ना सहने के लिए विवश करता है !! इन्ही पांच शक्तियों की बर्बादी मनुष्य को गहरे अंधकार में धकेलती है जबकि इन पांचो शक्तियों के संचय से व्यक्ति की प्रसन्ता सतगुणित होती है और सतकर्मो में इसके सदव्य से निरंतर उत्थान के सोपान चढ़ता है .
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